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उत्तर प्रदेश में दिव्यांगजनों के साथ कुष्ठावस्था पेंशन की राशि बढ़ी

  • लेखक की तस्वीर: Jantantra Live
    Jantantra Live
  • 2 दिन पहले
  • 3 मिनट पठन

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बोले- संकल्प शक्ति और आत्मबल ही सामर्थ्य का वास्तविक पैमाना


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जनतंत्र लाइव न्यूज

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लखनऊ: शारीरिक बनावट क्षमता के निर्धारण और लक्ष्यों की प्राप्ति में बाधा नहीं बनती है. भारत की ऋषि परंपरा ने हमेशा हमें इस बात के लिए प्रेरित किया है कि व्यक्ति की शारीरिक बनावट उसकी क्षमता का निर्धारण नहीं करती है. भारतीय मनीषा का मानना है कि वास्तविक शक्ति मन, संकल्प और आत्मबल में है. यह बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में बुधवार को विश्व दिव्यांग दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में कही.

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दिव्यांगजन सशक्तिकरण, छात्रवृत्ति वितरण, सहायक उपकरण प्रदान करने और उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं के सम्मान के लिए आयोजित कार्यक्रम में सीएम ने कहा कि आज देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की भी जयंती है. उनकी स्मृतियों को नमन करते हुए मैं विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. सीएम ने कहा कि हमारे यहां एक ग्रंथ है, अष्टावक्र गीता, जिसे ऋषि अष्टावक्र ने रचा था. उनके बारे में अनेक धारणाएं हैं और कहते हैं कि विदेह जनक को भी आत्मज्ञान की प्रेरणा उन्होंने दी. मध्यकाल में संत सूरदास इसके उदाहरण हैं. दुनिया में भी अनेक ऐसे उदाहरण हैं, जहां दिव्यांगजनों को थोड़ा भी संबल मिला तो उन्होंने अपने सामर्थ्य और अपनी शक्ति से समाज के लिए वह सब कुछ कर दिखाया, जिस पर सामान्य जन को सहज विश्वास भी नहीं होता है.

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सीएम ने कहा कि दिव्यांगजन के कल्याण के लिए केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से जो कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, वे एक प्लेटफॉर्म के रूप में आपके लिए उपयोगी हो सकते हैं. खेल और युवा कल्याण विभाग के सचिव स्वयं पैरालंपिक मेडलिस्ट हैं. वह उस टीम का हिस्सा रहे हैं, जिसने पैरा ओलंपिक में सर्वाधिक मेडल जीते. चित्रकूट के मंडलायुक्त दृष्टिबाधित हैं, लेकिन मंडलायुक्त के रूप में वहां अपनी पूरी क्षमता से कार्य कर रहे हैं. यह स्पष्ट संकेत है कि हमारी संकल्प शक्ति और आत्मबल ही हमारे सामर्थ्य का वास्तविक पैमाना है. इसी कारण भारत की मनीषा और ऋषि परंपरा ने कभी भी शारीरिक बनावट को व्यक्ति की क्षमता का आधार नहीं माना.

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सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री की तरफ से दिए गए शब्द दिव्यांग ने सम्मान की नई भाषा और नई सोच को देश में स्थापित किया है. सरकारी भवनों, परिवहन और सार्वजनिक स्थलों को बैरियर फ्री बनाया जा रहा है और विद्यालयों को सुलभ बनाने का अभियान जारी है. ब्रेल लिपि, साइन लैंग्वेज, रैम्प, छात्रवृत्ति, निःशुल्क प्रशिक्षण, कौशल विकास और रोजगार के साथ ही सरकारी सेवाओं में चार फीसद और शिक्षण संस्थानों में पांच फीसद आरक्षण लागू है.

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मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में यूडीआईडी कार्ड के 16,23,000 से अधिक कार्ड जारी किए गए हैं और 19,74,000 से अधिक पंजीकृत हैं. कुष्ठावस्था पेंशन को 2,500 रुपये से बढ़ाकर 3,000 रुपये किया गया है और कृत्रिम अंगों के लिए अनुदान 10,000 रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपये किया गया है. स्मार्टफोन, टैबलेट और डेज़ी प्लेयर जैसी आधुनिक सहायक सामग्रियों के लिए भी धन उपलब्ध कराया गया है. अब तक 3,84,000 से अधिक कृत्रिम उपकरण वितरित किए जा चुके हैं. शल्य चिकित्सा अनुदान 8,000 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये किया गया है और कॉक्लियर इम्प्लांट के लिए 6,00,000 रुपये की सहायता दी जा रही है. इस वर्ष 108 बच्चों का सफल इम्प्लांट कराया गया है. मानसिक दिव्यांगजन के लिए बरेली, मेरठ, गोरखपुर और लखनऊ में 50-50 क्षमता वाले आश्रय गृह संचालित हैं. चित्रकूट और बांदा में नए केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं और 16 जिलों में 24 संस्थान कार्यरत हैं.

 
 
 

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